अभ्यास में तरक़्क़ी की परख
प्रीत
भजन सुमिरन का तरीक़ा
आन्तरिक अभ्यास के दो प्रारम्भिक चक्र
इन्सानी ज़िन्दगी का आदर्श
ईश्वर के नाम का जाप ईश्वर तक पहुँचाता है
गुरु का काम सेवा और सहायता देना है
गुरु का प्रेम पाने के लिए शिष्य क्या करे ?
चाह और दीनता
ज़िन्दगी में रूहानियत लाओ
दीन भाव
दीनता परमार्थ में अनिवार्य है तथा अहँकार बाधक है
पढ़ो और मनन करो
परमार्थ दीनता से बनता है
मनमानी मत करो
मनुष्य जीवन का आदर्श सच्चे आनन्द की प्राप्ति करना है.
ईश्वर से क्या माँगें और क्या न माँगें ?
तुम जब खुद तैयार हो जाओगे तो गुरु की मदद काम पूरा करेगी
परमात्मा की दयालुता
परमार्थ के मार्ग में साँसारिक बाधाएँ
प्रेम और प्रीति
भक्ति के अनेक रूप
भेंट
मन और माया से आत्मा को आज़ाद करो
मन को दुनियावी इच्छाओं से आज़ाद करो.
वास्तविक आनन्द कहाँ है ?
विश्वास और श्रद्धा
संत मत में वेदान्तों का समन्वय
सच्चे आनन्द की प्राप्ति
सत्संग में आने का असली फ़ायदा
सर्वप्रथम कर्तव्य क्या है - समर्पण क्या है ?
साधक की उन्नति के लक्षणों की पहचान स्व-निरीक्षण से मुमकिन है
साधना के अनुभव
मनुष्य की तीन प्रवत्तियाँ
दैनिक संध्या-पूजा-सत्संग
प्रातःकाल
सोमवार से शनिवार 7.30 से 8.30 रविवार - 8.30 से 9.30
साँयकाल
बृहस्पतिवार - 6.00 से 7.00.
स्थान - SE-295 , शास्त्री नगर, ग़ाज़ियाबाद (उत्तर प्रदेश)
(विशेष जानकारी हेतु संपर्क -
श्री अनुराग चंद्र प्रसाद - 09810271192
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